- भारतीय ज्ञान विज्ञान से युवाओं को जोड़ने की आवश्यकता -आचार्य अजय शास्त्री (छत्तीसगढ़)!
मनोज नौडियाल
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "महर्षि दयानन्द की दृष्टि में वैदिक सुराज्य" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह करोना काल से 494 वाँ वेबिनार था।
वैदिक प्रवक्ता आचार्य अजय आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द स्वराज के प्रथम उद्घोषक थे उन्होंने कहा था कि कोई कितना ही करे पर स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम है। ऋषि दयानंद सरस्वती ने जात पात ऊंच-नीच भेदभाव को सिरे से नकारा है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति गुण कर्म स्वभाव से श्रेष्ठ होता है। अंधविश्वास और पाखंड रहित समाज के लिए उन्होंने हरिद्वार के कुंभ मेले में पाखंड खंडनी पताका लहराई थी।
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मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगीराज श्री कृष्ण को देश और समाज का आदर्श मानते थे उनका मानना था कि चरित्रवान युवा ही देश और समाज का निर्माण कर सकते हैं। राम, कृष्ण, शंकर, दयानंद जैसे महापुरुषों के चिंतन से युवाओं को जोड़ने की आवश्यकता है। समाज के तीन प्रमुख शत्रु है अज्ञान अन्याय और अभाव। ब्राह्मण वर्ग का दायित्व है कि वह अज्ञान से लड़ता रहे। अन्याय से लड़ने का दायित्व क्षत्रिय वर्ण का है। कोई भूखा न रहे रोटी कपड़ा और मकान जैसी आवश्यकता सभी की पूरी हो इस बात का दायित्व वैश्य वर्ग का है। वर्ण योग्यता अनुसार दायित्व के निर्वाह करने तथा सम्मान के योग्य बनने की अनुमति देता है। ऋषि दयानंद ने स्वदेशी राज्य को सर्वोपरि बताया था।
ऋषि दयानंद वह व्यक्ति थे जो स्वदेश के व्यक्ति तो छोड़िए जूतों का भी अपमान सहन नहीं करते थे। सत्यार्थ प्रकाश में उन्होंने भारतीय जूतों के अंग्रेजी कार्यालयों में प्रवेश के विरोध में लिखा है। गणतंत्र का अर्थ है नियमों का सम्मान करना एक अरब 96 करोड वर्ष पूर्व सृष्टि के आदि में व्यक्त वैदिक ज्ञान विज्ञान को ईश्वर का संविधान माना जाता है। भारतीय ज्ञान विज्ञान से युवाओं को जोड़ने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि आचार्य भानुप्रताप वेदालंकार व अध्यक्ष स्वतंत्र कुकरेजा ने कहा कि ऋषि दयानंद सरस्वती ने वेदों की ओर लौटने का आह्वानकिया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने ऋषि दयानंद सरस्वती को हिंदी का प्रचारक तथा स्वतंत्रता के विचारों का मंत्र दाता बताया।
केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और वीर हकीकत राय के बलिदान को स्मरण करते हुए कहा देश का इतिहास बलिदानी वीरों की अमर गाथा से भरा हुआ है।
गायिका कमला हंस, प्रवीना ठक्कर कुसुम भंडारी, रविंद्र गुप्ता, कमलेश चांदना, सुनीता अरोड़ा आदि ने सुमधुर देशभक्ति के भजन प्रस्तुत किए!!!
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