मनोज नौडियाल
कोटद्वार/कोटडी़ढांग। रंगों के त्यौहार होली को लेकर हर जगह उत्तराखंड में तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई हैं। उत्तराखंड तो वैसे भी अपने होली त्यौहार के अंदाज को लेकर पूरे भारत में मथुरा-ब्रज की तरह पहचान बनाए हुए है। उत्तराखंड में कुमाऊनी होली अंदाज तो विशेष निराला है। कुमाऊँ में होली की शुरुआत बसंत पंचमी से बैठकी होली के रूप में शुरुआत हो जाती है। कुमाऊँ में होल्यारे घर घर में बैठकी होली में ठुमरी, राग, चौपाई और विभिन्न संगीत विधाओं में होली गीत, राधाकृष्ण की ठिठोली, रासविलास से सम्बन्धित गीतों से होली के त्यौहार को रंगीन बना देते हैं।
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कोटद्वार में भी कुमाऊनी लोगों की कुमाऊनी सामाजिक, सांस्कृतिक मैत्री संगठन के बैनर तले होली की तैयारियों को लेकर कोटडी़ढांग में पू. प्रधानाचार्य गणेश सिंह अधिकारी के निवास पर बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में होली की तैयारियों के साथ भविष्य में संगठन की मजबूती, संगठन के क्रिया कलाप को लेकर चर्चा की गई।
संगठन की भविष्य की रणनीति को लेकर प्रधानाचार्या मीना अधिकारी ने सुझाव दिया कि उत्तराखंड और कुमाऊनी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ कोटद्वार क्षेत्र के प्रतिभाशाली विद्यार्थियो को प्रोत्साहित करने के लिए संगठन के माध्यम से सम्मानित करना चाहिए। उत्राखंडी सुप्रसिद्ध लोकगायक दयाशंकर फुलारा ने कहा कि हमारी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि कुमाऊनी भाषा, खानपान और पहनावे को अपनी नई पीढ़ी को जानकारी के साथ अपनाने के लिए प्रेरित करें। शिक्षक संभव अधिकारी ने संगठन के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की भाषाओँ को, संस्कृति को, बोली भाषा के प्रोत्साहन के लिए समय समय पर प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों सहित आमजन को भी प्रोत्साहित करना होगा।
उन्होंने गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत की पंक्तियों के माध्यम से आह्वान किया कि हमें गुबरैला कीड़ा नहीं बनना है वरन फूलों की तरह खिलना है। पू. प्रधानाचार्य गणेश सिंह अधिकारी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि घर के बुजुर्गों, अभिभावकों को चाहिए कि वे अपनी भावी पीढ़ी को अपनी भाषा के दो-चार शब्द प्रतिदिन सिखाएं, अगर हम नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति बोली-भाषा, खानपान और पहनावे की जानकारी नहीं देगें तो हमारी समृद्ध संस्कृति को कोई नहीं बचा पाएगा।
कार्यक्रम में संगठन के अध्यक्ष हुकुम सिंह नेगी, सुधीर पांडे, कुंदन सिंह नेगी ने भी अपने संबोधन में संगठन को सुदृढ़ करने, कुमाऊनी संस्कृति बोली-भाषा, खानपान और पहनावे को बढ़ावा व पहचान दिलाने के लिए एकजुटता के साथ काम करने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में शंकर दत्त पांडे प्रताप सिंह अधिकारी, श्याम सिंह, पान सिंह अधिकारी, अर्जुन सिंह, राजेन्द्र सिंह नेगी, शोभेन्द्र जोशी, शोबन सिंह नेगी, कुबेर जलाल, वंदना पवार, पूनम अधिकारी, तारा देवी, चंपा देवी, तुलसी अधिकारी, माया अधिकारी, सहित कई लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन संगठन के मीडिया प्रभारी पुष्कर सिंह पवार ने किया!!!
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