देहरादून...... "मेहनत करो परिश्रम करो कमाने की शक्ति देने वाले परमात्मा है" यदि उसकी कृपा न हो तो न शरीर रहेगा न कमाने का मतलब पूरे ब्रह्मांड की हलचल प्रभु कृपा से ही होती है: आचार्य शिवप्रसाद ममगांई कथावाचक।
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बता दें कि देहरादून सरस्वती विहार ई ब्लाक में विष्ट परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने बताया कि नारी सृष्टि समाज मानव जीवन की आधारशिला है। नारी ही बच्चो की प्रथम गुरू मां के रूप में है वह जैसी शिक्षा बच्चे को दे वैसे ही संस्कार बच्चे में होंगे। प्रेम ही परमात्मा का स्वरूप है वृज की गोपियों ने प्रेम पर भगवान को प्राप्त किया। ध्रुव व प्रह्लाद ने भगवान को प्राप्त किया। जबकि मस्ती व अंग प्रदर्शन कर शूर्पणखा ने अंग भंग करवा दिए। ज्ञान का मार्ग मरुस्थल की भूमि व प्रेम का मार्ग कुंज वन से प्रेम मार्ग सत्य एक ही घटना के दो पहलू है। सत्य को पालो तो प्रेम अपने आप प्रकट होता है। प्रेम व्यवहार करो तो सत्य साक्षात्कार बनकर सत्य की मंजिल तक पहुचायेगा!!
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इस अवसर पर विशेष रूप से धर्मेंद्र, शिखा, रविंद्र, अर्पिता, अस्मिता, जयदीप, अनिष्का, भगवान सिंह, जोत सिंह,भागा देवी, नरेंद्र सिंह नेगी, भाजपा वरिष्ठ नेता डोईवाला आशुतोष बहुगुणा, जगमोहन तोपाल, रविन्द्र विष्ट, धर्मेन्द्र विष्ट, शिवप्रसाद गौड़, जोत सिंह पयाल, मदन सिंह रावत, आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल, आचार्य हर्षपति घिल्डियाल, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य संदीप भट्ट, आचार्य हिमांशु मैठाणी, आचार्य प्रकाश भट्ट आदि भक्तगण उपस्थित थे!!!!
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