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पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ..! ज़िंदगी की चुनौतीयों से कभी ना हार मानने वाली WoW Pickles और Trupti Coolers (जूस और स्क्वाश) की मालिक सरस्वती की प्रेरक कहानी. देखें

 




मनोज नौडियाल 

एबीएन आवाज़.... रुरल बिजनस इनक्यूबेटर(RBI) की स्थापना के बाद उत्तराखंड में महिला उद्यमियों के एक नए समूह को उभरता हुआ देखा जा रहा है। यह समूह ऐसी महिला उद्यमियों का नया समूह है जो साहसी है, जोखिम उठाने के लिए तैयार है और हर दिन कुछ नया सीखती हैं सिखाती खाती हैं। कुछ के पास अपने चुने हुए रास्ते का एक बैकग्राउंड है, तो कुछ अन्य हैं जिन्होंने अपने संबंधित क्षेत्रों में वर्षों तक काम किया और ज्ञान प्राप्त किया है और आगे बढ़ने के लिए बाधाओं को दूर किया है। यह महिलाएं नए रास्ते बना रही हैं और बेजोड़ निपुणता एवं आत्मविश्वास के साथ अपने जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित कर रही हैं। इसी कड़ी में, आज सरस्वती की प्रेरणादायक कहानी आपके समक्ष है , जो अपने चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं और बेंचमार्क स्थापित कर रही हैं।

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सरस्वती एक साधारण महिला है जो आपके हमारे बीच की सामान्य सी व्यक्ति दिखती हैं पर अपने जुझारूपन और जीवटता से असामान्य साहस और दृढ़ता का परिचय देते हुए वह स्त्री को अबला की सोच को ध्वस्त करते हुए एक प्रेरणा बन जाती है, चलिए आज उसी कोटद्वार की रहनेवाली सरस्वती की यह शून्य से श्रृजन की कहानी सुनते है।


यह कहावत तो सुनी ही होगी ना कि ' घोर अन्धकार के बाद उजाला होता ही है ' ठीक उसी प्रकार सरस्वती के जीवन में भी एक ऐसी घटना घटित हुई जिसने उसकी जिंदगी को बदल डाला। बात शुरू होती है तब से जब उसके पति दो अबोध बच्चों को सरस्वती की गोद में छोड़ कर चले गए। इस वक्त उनकी आय का कोई साधन नहीं था, बच्चे छोटे थे, लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा. उन्होंने बच्चों की देख रेख के साथ ही सिलाई का काम शुरू किया, लेकिन यह तो बस शुरुआत थी, सरस्वती महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी।

नाबार्ड प्रेरित स्वयं सहायता समूह की ओर से 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई। जिसमे खाद्यय प्रसंस्करण का हुनर उन्होंने पाया और यहां से हुई सरस्वती के जीवन की एक नई सुबह की, जिसका कोई अंत नहीं। आज सरस्वती एक आत्मनिर्भर उद्यमी बन चुकी हैं। बस सरस्वती ने ना सिर्फ अपने जीवन को विकास और गति दी है वह वह अन्य महिलाओं की भी स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता के गुर सिखा रही हैं।


सरस्वती ने आज अपनी एक फैक्टरी खोली है और कई प्रकार के स्वादिष्ट आचार, मुरब्बा, चटनी, स्क्वैश, जूस आदि तैयार करती है, जो ग्राहकों में बहुत लोकप्रिय हैं।

आप लोगों को यह जानकर हैरानी होगी आज की सक्रिय उद्यमी सरस्वती के दिलो दिमाग से उद्यमिता, अपना बिजनेस बहुत दूर था, वो तो गाने और डांस का बहुत शौक रखने वाली युवती थी, जो जीवन के हर पल में आनंदमय रहना जानती थी, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था, सरस्वती की अपने शौक को वही छोड़ा जहां उसने स्वयं को स्थापित करने और बच्चो के भविष्य को संवारने का संकल्प किया, जहां से उनके जीवन की नई शुरुआत हुई।

आज सरस्वती महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का श्रोत हैं वे जगह-जगह जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनका मनोबल बढ़ती हैं, उन्हे आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का हुनर सिखती हैं, उन्होंने इस बात को साबित कर दिया कि अगर स्त्री चाहे तो काटों से भरी राह को भी फूलों से महका सकती है, अर्थात किसी भी विकट परिस्थिति में वह हार नहीं मान सकती, यही प्रेरणा हमे सरस्वती जी से मिलती है।

सरस्वती का उद्देश सिर्फ उनके अपने व्यवसाय विकास तक सीमित नहीं है, वे जैसे एक मिशन पर हैं उत्तराखंड के विविध क्षेत्रों में जाकर वे अन्य महिलाओं को नाना प्रकार के स्वादिष्ट आचार, मुरब्बा, चटनी, स्क्वैश, जूस आदि बनाना सीखती हैं, वास्तव में वे महिलाओं में स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के जनचेतना के मिशन पे लगी हैं जहां उद्देश यह है की किसी महिला को वह संघर्ष, तकलीफ उतनी ना सहनी पड़े जितना उन्होंने स्वयं झेला, शायद किसी के चेहरे पे मुस्कान, लबों पे हंसी और की सिंगल मदर (एकल माता) के छोटे से परिवार में खुशी और रौशनी आए।


काश हम भी सरस्वती जैसे कर्मठ, साहसी और सामाजिक संवेदनाओं को अपना पाते, तो समाज में खुशियों से भरा होता, थोड़ा और बेहतर होता!

समय कब क्या रंग दिखाए यह सरस्वती भली भांति जानती है वह बताती हैं उन्होंने 2021 में उत्तराखंड शासन की महत्वाकांक्षी संभावित एवं मौजूदा  उद्यमियों को समर्थन देने वाले प्रोजेेक्ट- रुरल बिजनस इनक्यूबेटर(RBI) कोहोर्ट का हिस्सा बनी, जिसने उन्हें अपने कारोबार को व्यवस्थित तरीके से विकसित करने में सक्षम बनाया। 

‘‘पहले मैं दूसरों के लिए काम करती थी, लेकिन रुरल बिजनस इनक्यूबेटर(RBI) ने मेरी किस्मत ही बदल दी। इसने मुझे अलग तरीके से सोचने का साहस दिया, मुझमें आत्मविश्वास पैदा किया कि मैं भी अपना काम करके उद्यमी बन सकती हूं। प्रोगाम ने मुझे सिखाया कि मुझे अपने कारोबार की योजना कैसे बनानी है, बाज़ार पर रिसर्च कर किस तरह से इसे आगे बढ़ाना है। इसने मुझे अहसास दिलाया कि मेरा काम मेरी कल्पना से कहीं अधिक आगे बढ़ सकता है, मैं अपने काम को सीमित दायरे से भी बाहर भी ले जा सकती हूं। आज मैं एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ऐमज़ान और फ्लिपकार्ट पर विक्रेता के रूप में अपने उत्पाद प्रस्तुत करनें को आतुर हूं और इसका श्रेय सिर्फ रुरल बिजनस इनक्यूबेटर(RBI) टीम के सहयोग एवं मार्गदर्शन को जाता है।’’ सरस्वती कृतिज्ञतापूर्ण स्वर में कहती हैं।

जब से रुरल बिजनस इनक्यूबेटर(RBI) से जुड़ना हुआ और इस केंद्र के विशेषज्ञों का लगातार प्रोत्साहन मिलना उत्साह वर्धक रहा रहा। मुझे दो बातों का अहसास हुआ, पहला कि कार्य कभी भी विशिष्ट या असामान्य नहीं होते। कभी-कभी सामान्य कार्य करते हुए आप बहुत विशिष्ट बन जाते हैं। दूसरा कि असफलता सफलता की सीढ़ीमात्र है। इन सीढ़ियों को एक के बाद एक पार करते ही हम सफलता प्राप्त करते हैं। 

सरस्वती की इच्छा शक्ति, पक्का इरादा, सीखने की इच्छा और रुरल बिजनस इनक्यूबेटर(RBI) से मिला सहयोग- ये सभी पहलु उनकी कहानी को बेहद प्रेरक बनाते हैं। आज सरस्वती अपने उधयं, ब्रांड को पंजीकृत करने की दिशा में अग्रसर हैं. आज वह उधयमिता क्षेत्र में  में चर्चा का केन्द्र बन चुकी हैं, लेकिन वे अभी भी उद्यमिता की दिशा में बहुत आगे तक जाना चाहती हैं! 

सरस्वती बनाए उत्पाद जहां भी जाते है बेहद पसंद किए जाते हैं, उनमें जैसे एक कोई सीक्रेट तत्व वे मिलती हैं जी शायद एक बहन का प्यार, मां की ममता, ढेर सारा स्नेह और आशीर्वाद है, बाकी उनके उत्पादों में गुणवत्ता तो है ही की सरस्वती हमेशा व्यस्त रहती हैं और खुद उनमें एक सफल उद्यमी का डिसिप्लिन और डेडीकेशन भी अनुकरणीय है.।


हां वे साथ ही जरूर कहती हैं  की उन्हे मोटिवेट करने में धर्मेंद्र, जो राज्य खाद्य विज्ञान एवम् प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षक है उनका बहुत बड़ा योगदान है, अगर धर्मेंद्र उनका मार्गदर्शन ना करते तो उनकी यह यात्रा शायद इतनी आसान ना होती, सफलता भी इतनी जल्दी ना मिलती।

आज सरस्वती एक सबल, सक्षम, स्वावलंबी महिला की मिसाल है जो ना सिर्फ आत्मनिर्भर है परंतु उसने एक बीड़ा उठाया है, एक संकल्प लिया है अन्य महिलाओं तक आत्मनिर्भरता, स्वावलंबन का संदेश और हुनर पहुंचाने का। यही चीज सुखद अचंभे सी है जो कोई 8-10 साल पहले की सरस्वती से मिला हो उसके लिए, कि मासूम, भोली, मृदुभाषी सरस्वती में दुर्गा, काली सी शक्ति, जीवटता और लक्ष्मी सी व्यवस्य प्रबंधन, कुशलता भी कहां छुपी थी? आज सरस्वती जो कुछ भी है, अपनी काबिलियत, योग्यता और हरदम नया सीखने के लिए खुलेपन की योग्यता के कारण ही इस मुकाम तक पहुंची है!!!!

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