Ticker

10/recent/ticker-posts

हे.न.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय में संस्कृत संभाषण कार्यशाला का भव्य समापन; संस्कार व संस्कृति की पहचान हेतु प्रो. कमलाचौहान ने की प्राथमिक कक्षाओं से ही संस्कृतसम्भाषण की पहल! देखें


- किसी भी भाषा के व्याकरण की पहली कोडिंग पाणिनि के 14 सूत्र हैं - मैन्दोला!

मनोज नौडियाल 

गढ़वाल , उत्तराखण्ड। हे.न.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित षड्दिवसीय संस्कृत संभाषण कार्यशाला का समापन समारोह शनिवार को भव्यता और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। इस कार्यशाला में छात्रों ने संस्कृत भाषा में संभाषण कौशल, व्याकरणिक सूत्रों की कोडिंग, और भाषा के वैज्ञानिक पहलुओं पर गहन अध्ययन किया।


कार्यशाला में केवल संस्कृत विभाग ही नहीं, बल्कि आंग्ल, भौतिकी, मानवविज्ञान और कला विभाग के छात्र एवं विभिन्न विभाग के प्राध्यापक व छात्र भी शामिल हुए। छात्रों और विद्वानों ने संस्कृत में संवाद करने की कला का अभ्यास किया। संस्कृत भारती के सम्भाषण शिक्षक तथा राइका कोटद्वार के संस्कृत शिक्षक कुलदीप मैन्दोला ने भी छात्रों को सरल एवं व्यावहारिक तरीके से संस्कृत संभाषण सिखाने में अहम योगदान दिया। समापन दिवस पर छात्रों ने भाषा कौशल और पाणिनीय व्याकरण की वैज्ञानिकता को समझते हुए संस्कृत भाषा में संवाद की महत्ता को अनुभव किया।

प्रो. कमला चौहान, विभागाध्यक्ष, ने संस्कृत भाषा को छात्रों के नैतिक मूल्यों के संवर्धन और संस्कृति की पहचान का महत्वपूर्ण माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि हमें संस्कृत में बोलने का प्रयास छात्रों के प्रारम्भकाल से करना चाहिए, यदि प्राथमिक कक्षा से छात्र संस्कृत बोलने लग जायेगा तो फिर संस्कृत से संस्कार व संस्कृति की पहचान प्रारम्भकाल से ही छात्रों को होने लगेगी ।


प्रो. आशुतोष गुप्ता ने संस्कृत की प्रमाणिकता और उपयोगिता पर कहा कि आज सारा विश्व संस्कृत की संस्कृति शान्ति और ज्ञान की ओर बढ रहा है। इसलिए संस्कृत में बोलने के प्रयत्न से हम संस्कृत भाषा को आगे बढा सकते हैं।

कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान दर्शन विभाग की आचार्य डॉक्टर कविता भट्ट ने दर्शन विषय को संस्कृत विषय से सम्बद्ध बताया उन्होंने कहा कि विश्व का दर्शन संस्कृत से प्राप्त होता है भारत का शिक्षादर्शन संस्कृत के कारण विश्वपटल पर आज भी अग्रणीय है। इस अवसर पर उन्होंने अपने संस्कृत लेखन का वाचन भी किया।

मुख्यातिथि के रुप में डॉ. सविता भंडारी, आंग्ल विभाग, ने संस्कृत की प्राचीनता और वैज्ञानिकता पर अपने विचार संस्कृत भाषा में प्रस्तुत किए। उन्होंने प्रतिदिन कार्यशाला में प्रतिभाग कर संस्कृतसम्भाषण कर सभी का मनोबल बढ़ाया। 


पाणिनि व्याकरण की वैज्ञानिकता पर चर्चा

कार्यशाला के शिक्षक कुलदीप मैन्दोला ने पाणिनि के 14 सूत्रों की कोडिंग के माध्यम से संस्कृत व्याकरण की वैज्ञानिकता और उसकी अन्य भाषाओं पर प्रभाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पाणिनि ने बहुत पहले 14 सूत्रों की कोडिंग कर संस्कृत भाषा के व्याकरण को वैज्ञानिकता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि कैसे संस्कृत भाषा का व्याकरणिक आधार इसे अन्य भाषाओं की तुलना में अधिक संरचित और व्यवस्थित बनाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और छात्र अनुभव

छात्रों ने कार्यशाला में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे लघु नाटिका, हास्य कणिका, रावण अभिनय, और अनुभव कथन प्रस्तुत किए। यह आयोजन न केवल भाषा कौशल को बढ़ाने का माध्यम बना बल्कि छात्रों के आत्मविश्वास और रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित किया।


कार्यशाला का संचालन और समापन

कार्यशाला का संचालन डॉ. बालकृष्ण बधानी ने किया और भविष्य में इस प्रकार की और कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना को साझा किया। डॉ. विश्वेश वाग्मी ने आभार व्यक्त करते हुए इस आयोजन की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया। कार्यशाला में 55 छात्र, शोध छात्रों सहित प्राध्यापक प्रत्यक्षरूप से तथा आनलाइन संस्कृत कार्यशाला में 34 प्रतिभागी छ: दिन तक उपस्थित रहे । सभी को संस्कृतविभागद्वारा प्रतिभागिता का प्रमाणपत्र भी दिया जायेगा।

संस्कृत संभाषण कार्यशाला ने भाषा, संस्कृति, और व्याकरण के व्यावहारिक पहलुओं को उजागर करते हुए छात्रों को एक अनूठा अनुभव प्रदान किया। संस्कृत को व्यवहार में अपनाने और इसे अधिक व्यापक बनाने की दिशा में यह आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ!!!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ