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रंगों का लोकप्रिय त्यौहार होली; लेख: साभार, राजीव थपलियाल! देखें


संग्रह एवं प्रस्तुति:
राजीव थपलियाल (प्रधानाध्यापक), राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरुड़ा, विकासखंड- जयहरीखाल, जनपद- पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।

(नोट-- इस आलेख को तैयार करने में अन्य संदर्भों की मदद भी ली गई है।) 

हमारी भारत वसुंधरा में मनाये जाने वाले सभी त्यौहारों में से होली का त्यौहार एक ऐसा रंगबिरंगा त्यौहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह, उमंग, जोश और खूब मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पावन पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के  एक रात पहले होली को जलाया जाता है। 

इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है। भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह भगवान विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया।प्रह्लाद के पिता ने अंत में अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। यह कथा इस बात का संकेत करती है कि, बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। 

आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्यौहार रंगों का त्यौहार है। इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्यौहार विशेष महत्व रखता है। वे एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं। सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं।

घरों में महिलाएं एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं। ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारतवर्ष में मशहूर है।

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आजकल अक्सर देखने में आता है कि, होली खेलने वालों द्वारा अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह बिल्कुल गलत है, इस मनभावन त्यौहार के मौके पर हम सभी लोगों को रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी बहुत ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को तो होली के दौरान अपने से बड़ों की निगरानी में ही इको फ्रेंडली होली खेलनी चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंक कर किसी को भी मारने से नुकसान हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। इस मस्ती भरे पर्व को मिलजुल कर मनाने का प्रयास करना चाहिए। होली याने कि,रंगों का खुशनुमा त्यौहार आ ही गया है। हर कोई इसकी तैयारी में जुटा है। हर तरफ होली मनाने की खुशी है वहीं इसमें इस्तेमाल होने वाले रंगोें को लेकर चिंता भी है क्योंकि कैमिकल्स युक्त कलर ना सिर्फ त्वचा व बालों बल्कि सेहत को भी नुकसान पहुंचाते हैं। 

ऐसे में आप बाजार में मिलने वाली कैमिकल्स युक्त कलर की बजाए घर पर ही प्राकृतिक रंग बनाकर होली खेल सकते हैं। इससे आप बेफ्रिक होकर होली का मजा भी ले पाएंगे और आपके पैसों की भी बचत होगी। यदि आप होली के लिए सूखे हर्बल रंगों का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो चावल का आटा लेकर इसमें अपनी पसंद से खाने का रंग और 2 चम्मच पानी डालकर मिक्स कर लें। इसको धूप में सूखने दें और बाद में पीस लें। होली के लिए हर्बल कलर बन जाएगा। 

घर में जामुनी रंग बनाने के लिए चुंकदर का इस्तेमाल करें। सबसे पहले चुकंदर को अच्छे से धो कर पीस लें। अब इसको छानकर पानी में मिलाकर रख दें। कुछ समय के बाद पानी जामुनी रंग का हो जाएगा। इस रंग का इस्तेमाल होली खेलने के लिए किया जा सकता है। केसरिया रंग के लिए पलाश या टेसू के फूलों का उपयोग करें। सबसे पहले फूलों को अच्छी तरह से सुखा लें। अब इसमें चिकना आटा मिलाएं। इसके बाद इसमें केसर की कुछ पत्तिया डालकर पेस्ट बनाएं। इस तरह कुछ ही समय में घर में ऑर्गेनिक केसरिया रंग तैयार हो जाएगा।

हल्दी और बेसन को मिलाकर आप पीला रंग तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आप जितनी हल्दी लें, उसकी दोगुनी मात्रा में बेसन मिलाएं। इससे आप होली भी खेल पाएं और त्वचा में निखार भी आ जाएगा। इसके अलावा आप फूलों से भी पीला रंग बना सकते हैं। इसके लिए गेंदे या अमलताश के फूल को पानी में उबालकर रात भर छोड़ दें और सुबह उससे होली खेलें। 

लाल रंग के लिए आप लांल चंदन पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप दो चम्मच चंदन पाउडर को एक लीटर पानी में मिलाकर उबाल लें।फिर इसमें जरूरत अनुसार पानी मिलाकर होली खेलें। लाल गुलाल की जगह आप चाहें तो लाल चंदन पाउडर में गुड़हल के फूल को सुखाकर व पीसकर मिलाएं। इससे गुलाल और भी लाल और खुशबूदार हो जाएगा। कचनार के फूल को भी रात भर पानी में भिगो दें। सुबह तक इसका रंग गुलाबी व केसरिया हो जाएगा और फिर आप इसे होली के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। वैसे तो कत्था पान खाने में प्रयोग किया जाता है, पर आप इसे पानी में मिलाकर भूरा रंग बनाने में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।आप मेहंदी से होली के लिए हरा रंग तैयार कर सकते हैं। इसके लिए मेहंदी में थोड़ा-सा आटा अच्छी तरह मिक्स करें। ध्यान रहे कि आपकी मेंहदी में आंवला न मिला हो।काला रंग बनाने के लिए अंगूर का जूस निकाल लें। इस जूस को पानी में मिला लें। इस तरह काले अंगूरो से काला रंग आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा आप एक लोहे के बर्तन में पानी डालें तथा आंवलों को भिगाकर काला रंग बना सकते हैं। नारंगी रंग बनाने के लिए आप कुछ प्याज लें। अब इनको आधा लीटर पानी में उबाल लें। अब पानी को ठंड़ा होने के लिए छोड़ दें। इस तरह नारंगी रंग तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा टेसू के फूलों को रात भर पानी में भिगाकर रखने से पीला-नारंगी रंग बनाया जा सकता है। नीले रंग के लिए नील के पौधों पर निकलने वाली फलियों को पीस लें और पानी में उबालकर मिला लें। इसी तरह नीले गुड़हल के फूलों को सुखाकर पीसने से भी आप नीला रंग तैयार कर सकते हैं!!!!              


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