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चारा विकास एवम संरक्षण के लिए द हंस फाउण्डेशन की पहल! देखें


मनोज नौडियाल 

कोटद्वार। द हंस फाउंडेशन ने उत्तराखंड में क्षेत्रों पर ग्रामीणों की निर्भरता को कम करने और जंगल की आग के खतरे को कम करने के लिए एक महत्वाकांक्षी मिशन शुरू किया है। फाउंडेशन की अभूत पूर्व पहल पारपरिक वन संसाधनों के‌ स्थायी विकल्प के रूप मे हरे चारे के विकास पर केंद्रित है।


उत्तराखंड में जहां जंगल की आग एक विनाशकारी समस्या है, ग्रामीण लंबे समय से अपने पशुओं के लिए हरे चारे सहित आवश्यक संसाधनों के लिए वन क्षेत्रों पर निर्भर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए हंस फाऊंडेशन राज्य के चार जिलों बागेश्वर, अल्मोडा, पौडी गढ़वाल टिहरी गढ़वाल में सक्रिय रूप से काम कर रहा है।इस पहल का केंद्र किसानों की भूमि पर हरे चारे की खेती को बढ़ावा देना है, जीवन पारिस्थिति की तंत्र पर बोझ को कम करें और पर्यावरण अनुकूल समाधान प्रदान करता है। 


द हस फाउंडेशन फॉरेस्ट फायर परियोजना के तहत स्थानीय ग्रामीणों को आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमे उच्चगुण वत्ता वाले चारे के बीज, चारा संरक्षण हेतु आवश्यक प्रशिक्षण शामिल है। फाउंडेशन का लक्ष्य परियोजना के पहले चरण में उत्तराखंड के चार जिलों पौड़ी, टिहरी,अल्मोड़ा, बागेश्वर में कुल 1500 किसानों को लाभान्वित किया गया है। इस वर्ष 1600 किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। इस पहल के माध्यम से हंस फाउंडेशन बहुमूल्य वन पारिस्थिति की प्रणालियों को संरक्षित करते हुए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। 

इसी क्रम में जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड द्वारीखाल के 20 एवं यमकेश्वर के 07 तथा जयहरीखाल के 38 गांवो के 455 ग्रामीणों को हंस फाउण्डेशन द्वारा 44 किलो बरसीम व 1258 किलो जई घास का बीज वितरण किया गया!!!

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